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2 या 3 जानिए कब है बसंत पंचमी

हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व है. ज्ञान की देवी मां सरस्वती की बसंत पंचमी के दिन पूजा की जाती है. शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) नाम से भी जाना जाता है. मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल इस तिथि की शुरुआत 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगा. इसका समापन 03 फरवरी को प्रातः 06 बजकर 52 मिनट पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी. ज्योतिषी बसंत पंचमी को अबूझ दिवस के रूप में मानते हैं. यह विश्वास सरस्वती पूजा के महत्व को बढ़ाता है, जिससे पूरा दिन पूजा और अच्छे कामों के लिए शुभ हो जाता है.

 

मान्यता है कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थी, और इसीलिए इस तिथि को बसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है.

 

यह पर्व भारत के साथ-साथ पश्चिमोत्तर बांग्लादेश और नेपाल में भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार के साथ ही ठंड के मौसम की विदाई हो जाती है और साल के सबसे अच्छे माने जाने वाले मौसम यानी बसंत की शुरुआत हो जाती है. बसंत पंचमी में मां सरस्वती को पीले रंग के भोग और फूल अर्पित किए जाते हैं.

 

बसंत पंचमी का शिक्षा और संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग साल भर इंतजार करते हैं. इस दिन देश भर में शिक्षक और छात्र मां सरस्वती की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान बनाने की प्रार्थना करते हैं. बसंत पंचमी के दिन विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है की माँ सरस्वती का दिया वर उनके भक्तों से भगवान भी नहीं छीन सकते l इसीलिए कहा जाता है लक्ष्मी चुराई जा सकती है लेकिन विद्या नहीं l माना जाता है कि इस दिन मां सरस्वती की आराधना करने से अज्ञान का अंधकार दूर होता है और ज्ञान का सवेरा जीवन में प्रवेश करता है। इसके अलावा, मां सरस्वती जहां रहती हैं वहीं, मां लक्ष्मी का भी वास होता है।

 

30 साल बन बन रहा विशेष योग

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल 2025 में बसंत पंचमी के अवसर पर शनि एक विशेष राजयोग बना रहे हैं, जिसे कुछ राशियों के लिए बेहद फलदायी माना जा रहा है.

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि का यह राजयोग 30 साल बाद बन रहा है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है. ज्योतिष में शनि को कर्मफल दाता माना जाता है, और जब वे किसी शुभ योग में स्थित होते हैं तो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होते हैं. बसंत पंचमी के अवसर पर, यानी 2 फरवरी 2025 को 30 साल बाद शनि देव दुर्लभ शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं, जो कुछ राशियों के लिए अपार धन, पद, और प्रतिष्ठा का संकेत दे रहे हैं.

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प्रधान संपादक आमोद तिवारी कार्यालय-:उदयपुर,अंबिकापुर,सरगुजा (छत्तीसगढ़) पिन नंबर 497117 मो. 7974756939

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