महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 5033 का इजाफा, कोर्ट में दोषियों को सजा दिलाने की दर महज 26.5 फीसदी
-19 महीने में कोर्ट पहुंचे 7042 केस, 1841 में ही आरोप हो सका सिद्ध

भोपाल. मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में एक साल में 5033 की बढ़ोतरी तो हुई ही है, वहीं दोषियों को सजा दिलाने के मामले में हालत खराब हैं। एक साल यानी वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या 30673 थी, जो देशभर में प्रदेश को छठवें पायदान पर रखती है। वर्ष 2020 में मप्र इस मामले में पांचवें स्थान पर था। इधर, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच और कोर्ट में प्रकरणों की पैरवी में अनदेखी से 19 महीनों में मप्र में महज 26.5 फीसदी प्रकरणों में आरोपियों को सजा मिल सकी है। एक जनवरी 2021 से 31 जुलाई 2022 तक प्रदेश की अलग-अलग अदालतों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 7042 प्रकरण पहुंचे, जिनमें से 1841 में ही आरोपियों को सजा हो सकी, वहीं 5201 प्रकरणों में आरोप सिद्ध नहीं हो सके। कानून के विशेषज्ञों के मुताबिक अधिकतर मामलों में पीडि़ता और गवाहों के पक्षद्रोही होने तो कई में प्रकरणों से संबंधित साक्ष्यों को बेहतर ढंग से कोर्ट में नहीं रखने से ऐसी स्थिति बनती है।
इस साल तीन को फांसी, 171 को आजीवन कारावास
मप्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की अदालतों में हुई सुनवाई में तीन आरोपियों को फांसी की सजा तो 171 को आजीवन कारवास से दंडित किया गया है। एक जनवरी से अगस्त 2022 तक 510 प्रकरणों में दस वर्ष या इससे अधिक की सजा तो 34 में दस वर्ष से कम और पांच वर्ष से अधिक की सजा आरोपियों को दी गई। इस तरह कुल 718 प्रकरणों में आरोपियों को सजा सुनाई गई है।
बच्ची की हत्या और बलात्कार में आरोपी को फांसी
खंडवा जिले में नौ वर्ष की बच्ची के बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपी अनोखी लाल को कोर्ट ने 29 अगस्त को फांसी की सजा सुनाई, वहीं 10 अगस्त को जबलपुर जिले के गैंगरेप के मामले में आरोपी महेंद्र, सूरज और राजू को आजीवन कारवास से दंडित किया। इसी तरह खरगोन जिले में कोर्ट ने 30 अगस्त को बलात्कार के आरोपी महेश ओगे को कोर्ट ने आजीवन कारवास की सजा सुनाई।
दोष सिद्धि के लिए लागू की साक्षी संरक्षण योजना
एट्रोसिटी एक्ट की तर्ज पर मप्र में महिला अपराधों में दोष सिद्धि की दर में बढ़ोतरी के लिए साक्षी संरक्षण योजना लागू की गई है। महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के मुताबिक मप्र में चार अगस्त से इस योजना को शुरू किया है। इसमें प्रत्येक जिले से चिह्नित अपराधों को योजना में शामिल किया गया है। इसमें प्रकरण सें संबंधित गवाहों को कोर्ट में पेशी की जानकारी देना और तय समय पर पहुंचना सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आदतन आरोपियों पर अंकुश लगाने 207 प्रकरणों में जिलाबदर, अवैध संपत्ति और अतिक्रमण को ध्वस्त करने समेत अन्य वैघानिक और सख्त कार्रवाई की गई है।
इधर, पुख्ता जांच और सबूत इक_ा करने जारी की चैकलिस्ट
अपरााधों की पुख्ता जांच और सबूतों के बेहर संग्रहण आदि के लिए लोक अभियोजन संचालनालय द्वारा चैक लिस्ट जारी की गई है। इसमें एफआइआर दर्ज करने से लेकर क्राइम ऑफ सीन और सबूतों को इक_ा करने के लिए बरती जाने वाली सावधानियां बताई हैं। महिला अपराधों के लिए भी सौ से अधिक बिन्दुओं पर चैक लिस्ट बनाई है। इसमें अपराध दर्ज करने से लेकर कोर्ट तक प्रकरण पहुंचाने तक में बरती जाने वाली सावधानियों का जिक्र है।